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Tuesday 19 September 2017

दिल को छू लेने वाली 32-लाइनें

1. *क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं*।
2. *ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं* ।
3. *इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म* ।
4. *सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा*. *आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन*
*धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा*।
5. *हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा* ।
  

     Picture credit - pintrest

6. *खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो* ।
7. *अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही* ।
8. *इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं* ।
9. *जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं* ।
10. *हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो* ।
11. *दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क्या कहेंगे* ।
12. *जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं* ।
13. *जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए* ।
14. *हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं..*
*भाग लो.. (run away)*
*भाग लो..(participate)*
*पसंद आपको ही करना हैं* ।
15. *इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे* ।
16. *अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं* ।
17. *यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए* ।
18. *इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा* ।
19. *दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना* ।
20. *कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो* ।
21. *यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं* ।
22. *मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें* ।
23. *यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं* ।
24. *संस्कारो से भारी कोई धन दौलत नही है* ।
25. *गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं* ।




26. *दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना स्वार्थ के प्यार करते हैं* ।
27. *कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर* ।
28. *घर आये हुए अतिथि का कभी अपमान मत करना, क्योकि अपमान तुम उसका करोगे और तुम्हारा अपमान समाज करेगा* ।
29. *हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती* ।
30. *दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा.अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता* ।
31. *जिनमें संस्कारो और आचरण की कमी होती हैं वही लोग दूसरे को अपने घर बुला कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं* ।
32. *अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो मान कर चलना की ऊपर वाला भी आपको धोखा देगा क्योकि उसके यहाँ हर बात का इन्साफ जरूर होता है* ।
*✍विचारपुष्प✍*
*✍अहंकार दिखाकर किसी रिश्ते को तोड़ने से कहीं अच्छा है कि क्षमा मांगकर उस रिश्ते को निभाया जाए।*
     *केवल रोजी-रोटी कमाना ही हुनर की बात नही है....बल्कि परिवार के साथ राजी-राजी रोटी खाना भी बहुत बड़ा हुनर है..!!*   
_*श्रीकृष्ण भगवान कहते हैं :-*_
      *☝कभी किसी के चेहरे को मत देखो बल्कि उसके मन को देखो, क्योंकि...अगर सफेद रंग में वफा होती" तो नमक जख्मों की दवा होती*।
                  *जय श्री राधे कृष्णा*
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         *उम्मीद करता हूँ की आप को ये
          खूबसूरत लाइन जरूर पसंद आयेगी
           औरआप की अंदरुनी खूबसूरती में
         हंसमुखी निखार आये ,बस यही
       प्रार्थना करता हूँ  , हँसते रहिये , हँसाते
         रहिये* ।


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ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रभाव

                               ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग जिसे सामान्य भाषा मे, भूमंडलीय तापमान मे वृद्धि कहा जाता है| कहा जाता है ,पृथ्वी पर आक्सीजन की मात्रा ज्यादा होनी चाहिये परन्तु, बढ़ते प्रदुषण के साथ कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है| जिसके चलते ओजोन पर्त मे एक छिद्र हो चूका है| वही पराबैगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आती है, जिसका असर ग्रीनहाउस पर पड़ रहा है| अत्यधिक गर्मी बढ़ने लगी है, जिसके कारण अंटार्कटिका मे बर्फ पिघल रही है जिससे, जल स्तर मे बढोतरी हो रही है| रेगिस्तान मे बढ़ती गर्मी के साथ रेत का क्षेत्रफल बढ़ रहा है|
ग्रीनहाउस के असंतुलन के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग हो रही है|   
    
ग्रीनहाउस क्या है?
सभी प्रकार की गैसों से, जिनका अपना एक प्रतिशत होता है, उन गैसों से बना ऐसा आवरण जोकि, पृथ्वी पर सुरक्षा पर्त की तरह काम करता है| जिसके असंतुलित होते ही, ग्लोबल वार्मिंग जैसी भीषण समस्या सामने आती है|
              ग्लोबल वार्मिंग क्यों हो रही है?
    

              Image credit - inthesetimes.com/


ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण प्रदुषण है| आज के समय के अनुसार, प्रदुषण और उसके प्रकार बताना व्यर्थ है| हर जगह और  क्षेत्र मे यह बढ़ रहा है, जिससे कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है| जिसके चलते ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है|
आधुनिकीकरण के कारण, पेड़ो की कटाई गावों का शहरीकरण मे बदलाव| हर खाली जगह पर बिल्डिंग,कारखाना, या अन्य कोई कमाई के स्त्रोत खोले जा रहे है| खुली और ताजी हवा या आक्सीजन के लिये कोई स्त्रोत नही छोड़े|
अपनी सुविधा के लिए, प्राचीन नदियों के जल की दिशा बदल देना| जिससे उस नदी का प्रवाह कम होते-होते वह नदी स्वत: ही बंद हो जाती है|
गिनाने के लिये और भी कई कारण है| पृथ्वी पर हर चीज़ का एक चक्र चलता है| हर चीज़ एक दूसरे से, कही ना कही, किसी ना किसी, रूप मे जुडी रहती है| एक चीज़ के हिलते ही पृथ्वी का पूरा चक्र हिल जाता है| जिसके कारण भारी हानि का सामना करना पड़ता है|
                ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
जिस तरह प्राक्रतिक आपदा का प्रभाव पड़ता है| उससे भारी नुकसान उठाना पड़ता है| बिल्कुल उसी तरह, ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी आपदा है, जिसका प्रभाव बहुत धीरे-धीरे होता है| यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि, दूसरी आपदाओं की भरपाई तो कई सालो हो सकती है| लेकिन ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे, नुकसान की भरपाई मनुष्य अपनी अंतिम सास तक नही कर सकता| जैसे –
ग्लोबल वार्मिंग के चलते, कई पशु-पक्षी व जीव-जंतुओं की प्रजाति ही विलुप्त हो चुकी है|
बहुत ठंडी जगह जहाँ, बारह महीनों बर्फ की चादर ढकी रहती थी| वहां बर्फ पिघलने लगी जिससे, जल स्तर मे वृद्धि होने लगी है|
भीषण गर्मी के कारण रेगिस्तान का विस्तार होने लगा है| जिससे आने वाले वर्षो मे, और अधिक गर्मी बढ़ने की संभावना है|
पृथ्वी पर मौसम के असंतुलन के कारण चाहे जब अति वर्षा, गर्मी, व ठण्ड पड़ने लगी है या सुखा रहने लगा है| जिसका सबसे बड़ा असर फसलो पर पड़ रहा है जिससे, पूरा देश आज की तारीख मे महंगाई से लड़ रहा है|
ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण पर सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है| जिससे कोई भी व्यक्ति छोटे से लेकर बड़े तक किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है| शुद्ध आक्सीजन न मिलने के कारण व्यक्ति घुटन की जिंदगी जीने लगा है|
Courtesy - link
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Sunday 17 September 2017

स्वच्छ भारत अभियान - स्वच्छ शक्ति पुरुस्कार- शुशीला खुरकुते

     


स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत सरकार द्वारा देश को स्वच्छता के प्रतीक के रुप में पेश करना है। स्वच्छ भारत का सपना महात्मा गाँधी के द्वारा देखा गया था जिसके संदर्भ में गाँधीजी ने कहा कि, ”स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरुरी है” उनके अपने समय में वो देश की गरीबी और गंदगी से अच्छे से अवगत थे इसी वजह से उन्होंने अपने सपनों को पाने के लिये कई सारे प्रयास किये, लेकिन सफल नहीं हो सके। जैसा कि उन्होंने स्वच्छ भारत का सपना देखा था, उन्होंने कहा कि निर्मलता और स्वच्छता दोनों ही स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन का अनिवार्य भाग है। लेकिन दुर्भाग्य से भारत आजादी के 67 साल बाद भी इन दोनों लक्ष्यों से काफी पीछे है। अगर आँकड़ो की बात करें तो केवल कुछ प्रतिशत लोगों के घरों में शौचालय है, इसीलिये भारत सरकार पूरी गंभीरता से बापू की इस सोच को हकीकत का रुप देने के लिये देश के सभी लोगों को इस मिशन से जोड़ने का प्रयास कर रही है जिससे विश्व भर में ये सफल हो सके।
     

इस मिशन को अपने प्रारंभ की तिथि से बापू की 150वीं पूण्यतिथि (2 अक्दूबर 2019) तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस अभियान को सफल बनाने के लिये सरकार ने सभी लोगों से निवेदन किया कि वो अपने आसपास और दूसरी जगहों पर साल में सिर्फ 100 घंटे सफाई के लिये दें। इसको लागू करने के लिये बहुत सारी नीतियाँ और प्रक्रिया है जिसमें तीन चरण है, योजना चरण, कार्यान्वयन चरण, और निरंतरता चरण।

स्वच्छ भारत अभियान क्या है ?

स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय स्वच्छता मुहिम है जो भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, इसके तहत 4041 सांविधिक नगरों के सड़क, पैदल मार्ग और अन्य कई स्थल आते है। ये एक बड़ा आंदोलन है जिसके तहत भारत को 2019 तक पूर्णंत: स्वच्छ बनाना है। इसमें स्वस्थ और सुखी जीवन के लिये महात्मा गाँधी के स्वच्छ भारत के सपने को आगे बढ़ाया गया है। इस मिशन को 2 अक्टूबर 2014(145वीं जन्म दिवस) को बापू के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर आरंभ किया गया है और 2 अक्टूबर 2019 (बापू के 150वीं जन्म दिवस ) तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है । भारत के शहरी विकास तथा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के तहत इस अभियान को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लागू किया गया है।

इस मिशन का पहला स्वच्छता अभियान(25 सितंबर 2014) भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इसके पहले शुरु किया जा चुका था। इसका उद्देश्य सफाई व्यवस्था की समस्या का समाधान निकालना साथ ही सभी को स्वच्छता की सुविधा के निर्माण द्वारा पूरे भारत में बेहतर मल प्रबंधन करना है।

स्वच्छ भारत अभियान की जरुरत

अपने उद्देश्य की प्राप्ति तक भारत में इस मिशन की कार्यवाही निरंतर चलती रहनी चाहिये। भौतिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिये भारत के लोगों में इसका एहसास होना बेहद आवश्यक है। ये सही मायनों में भारत की सामाजिक स्थिति को बढ़ावा देने के लिये है जो हर तरफ स्वच्छता लाने से शुरु किया जा सकता है। यहाँ नीचे कुछ बिंदु उल्लिखित किये जा रहे है जो स्वच्छ भारत अभियान की आवश्यकता को दिखाते है।

ये बेहद जरुरी है कि भारत के हर घर में शौचालय हो साथ ही खुले में शौच की प्रवृति को भी खत्म करने की आवश्यकता है।
अस्वास्थ्यकर शौचालय को पानी से बहाने वाले शौचालयों से बदलने की आवश्यकता है।
हाथ के द्वारा की जाने वाली साफ-सफाई की व्यवस्था का जड़ से खात्मा जरुरी है।
नगर निगम के कचरे का पुनर्चक्रण और दुबारा इस्तेमाल, सुरक्षित समापन, वैज्ञानिक तरीके से मल प्रबंधन को लागू करना।
खुद के स्वास्थ्य के प्रति भारत के लोगों की सोच और स्वाभाव में परिवर्तन लाना और स्वास्थ्यकर साफ-सफाई की प्रक्रियों का पालन करना।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में वैश्विक जागरुकता का निर्माण करने के लिये और सामान्य लोगों को स्वास्थ्य से जोड़ने के लिये।
इसमें काम करने वाले लोगों को स्थानीय स्तर पर कचरे के निष्पादन का नियंत्रण करना, खाका तैयार करने के लिये मदद करना।
पूरे भारत में साफ-सफाई की सुविधा को विकसित करने के लिये निजी क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ाना।
भारत को स्वच्छ और हरियाली युक्त बनाना।
ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना।
स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से समुदायों और पंचायती राज संस्थानों को निरंतर साफ-सफाई के प्रति जागरुक करना।
वास्तव में बापू के सपनों को सच करने के लिये ये सब करना है।      


शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य हर नगर में ठोस कचरा प्रबंधन सहित लगभग सभी 1.04 करोड़ घरों को 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय, 2.5 लाख सामुदायिक शौचालय उपलब्ध कराना है। सामुदायिक शौचालय के निर्माण की योजना रिहायशी इलाकों में की गई है जहाँ पर व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की उपलब्धता मुश्किल है इसी तरह सार्वजनिक शौचालय की प्राधिकृत स्थानों पर जैसे बस अड्डों, रेलवे स्टेशन, बाजार आदि जगहों पर। शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता कार्यक्रम को पाँच वर्षों के अंदर 2019 तक पूरा करने की योजना है। इसमें ठोस कचरा प्रबंधन की लागत लगभग 7,366 करोड़ रुपये है, 1,828 करोड़ जन सामान्य को जागरुक करने के लिये है, 655 करोड़ रुपये सामुदायिक शौचालयों के लिये, 4,165 करोड़ निजी घरेलू शौचालयों के लिये आदि। वो कार्यक्रम जिन्हें पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है-खुले में शौच की प्रवृति को जड़ से हटाना, अस्वाथ्यकर शौचालय को पानी से बहाने वाले शौचालयों में परिवर्तन, खुले हाथों से साफ-सफाई की प्रवृति को हटाना, लोगों की सोच में परिवर्तन लाना और ठोस कचरा प्रबंधन करना।

ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन

ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन एक ऐसा अभियान है जिसमें ग्रामीण भारत में स्वच्छता कार्यक्रम को अमल में लाना है। ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाने के लिये 1999 में भारतीय सरकार द्वारा इससे पहले निर्मल भारत अभियान (जिसको पूर्णं स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है) की स्थापना की गई थी लेकिन अब इसका पुर्नगठन स्वच्छ भारत अभियान(ग्रामीण) के रुप में किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को खुले में शौच करने की मजबूरी से रोकना है, इसके लिये सरकार ने 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिये एक लाख चौतिस हजार करोड़ की राशि खर्च करने की योजना बनाई है। ध्यान देने योग्य है कि सरकार ने कचरे को जैविक खाद् और इस्तेमाल करने लायक ऊर्जा में परिवर्तित करने की भी है। इसमें ग्राम पंचायत, जिला परिषद, और पंचायत समिती की अच्छी भागीदारी है। निम्नलिखित स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) का लक्ष्य है:

ग्रामीण क्षेत्रों मे रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना।
2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई के लिये लोगों को प्रेरित करना।
जरुरी साफ-सफाई की सुविधाओं को निरंतर उपलब्ध कराने के लिये पंचायती राज संस्थान, समुदाय आदि को प्रेरित करते रहना चाहिये।
ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और द्रव कचरा प्रबंधन पर खासतौर से ध्यान देना तथा उन्नत पर्यावरणीय साफ-सफाई व्यवस्था का विकास करना जो समुदायों द्वारा प्रबंधनीय हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर साफ-सफाई और पारिस्थितिक सुरक्षा को प्रोत्साहित करना।

स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान

ये अभियान केन्द्रिय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा चलाया गया और इसका उद्देश्य भी स्कूलों में स्वच्छता लाना है। इस कार्यक्रम के तहत 25 सितंबर 2014 से 31 अक्टूबर 2014 तक केंद्रिय विद्यालय और नवोदय विद्यालय संगठन जहाँ कई सारे स्वच्छता क्रिया-कलाप आयोजित किये गए जैसे विद्यार्थियों द्वारा स्वच्छता के विभिन्न पहलूओं पर चर्चा, इससे संबंधित महात्मा गाँधी की शिक्षा, स्वच्छता और स्वाथ्य विज्ञान के विषय पर चर्चा, स्वच्छता क्रिया-कलाप(कक्षा में, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, मैदान, बागीचा, किचन शेड दुकान, खानपान की जगह इत्यादि)। स्कूल क्षेत्र में सफाई, महान व्यक्तियों के योगदान पर भाषण, निबंध लेखन प्रतियोगिता, कला, फिल्म, चर्चा, चित्रकारी, तथा स्वाथ्य और स्वच्छता पर नाटक मंचन आदि। इसके अलावा सप्ताह में दो बार साफ-सफाई अभियान चलाया जाना जिसमें शिक्षक, विद्यार्थी, और माता-पिता सभी हिस्सा लेंगे।

उत्तर प्रदेश में स्वच्छता की एक और पहल

मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) ने स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कार्यालयों में चबाने वाला पान, पान-मसाला, गुटका और अन्य तम्बाकू उत्पादों (विशेषकर ड्यूटी के समय में) पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने इस पहल की शुरुआत सरकारी इमारत में अपनी पहली यात्रा के बाद की जब उन्होंने पान के दाग वाली दीवारों और कोनों को देखा।


इस तरह हम कह सकते है कि 2019 तक भारत को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के लिये स्वच्छ भारत अभियान एक स्वागत योग्य कदम है। जैसा कि हम सभी ने कहावत में सुना है 'स्वच्छता भगवान की ओर अगला कदम है'। हम विश्वास के साथ कह सकते है कि अगर भारत की जनता द्वारा प्रभावी रुप से इसका अनुसरण किया गया तो आने वाले चंद वर्षों में स्वच्छ भारत अभियान से पूरा देश भगवान का निवास स्थल सा बन जाएगा। चूँकि स्वच्छता से ईश्वर का गर्मजोशी से स्वागत शुरु हो चुका है तो हमें भी अपने जीवन में स्वच्छता को जारी रख उनको बनाये रखने की आवश्यकता है, एक स्वस्थ्य देश और स्वस्थ्य समाज को जरुरत है कि उसके नागरिक स्वस्थ्य रहें तथा हर व्यवसाय में स्वच्छ हो।


Courtesy - Hindikiduniya
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स्वच्छ जीवन शैली के राज़ - महान व्यक्तियो ने किया इनका उपयोग

स्वस्थ जीवन शैली का अर्थ है स्वस्थ आहार खाने जैसी अच्छी आदतों का पालन करना, नियमित व्यायाम करना और रात में पर्याप्त नींद लेने के लिए समय निकालना। विभिन्न बीमारियों को दूर रखने और पूरी तरह से निरोगी जीवन जीने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना आवश्यक है।

अस्वस्थ आदतें कैसे छोड़ें?

हालांकि हम में से अधिकांश अस्वास्थ्यकर की आदतों के बारे में जानते हैं, जो हमारे अंदर होती हैं और बहुत से लोग इसे छोड़ने का प्रयास भी करते हैं पर हम अक्सर ऐसा नहीं कर पाते। आप सिर्फ एक दिन उठकर अपनी अस्वस्थ आदतों को छोड़ने का फैसला नहीं कर सकते जिसका पालन अब तक आपने किया है। जी हाँ इस तरह की आदतों को छोड़ने के लिए बहुत से प्रयासों की आवश्यकता पड़ती है खासकर यदि आप लंबे समय से उनका अनुसरण करते रहे हैं। यहां कुछ चीजें हैं जो आपकी मदद कर सकती हैं:

लिखकर रखें
पहला काम जो आपको करना चाहिए वह यह है कि आप उन बुरी आदतों को लिख लें जो आपके अंदर शामिल हैं और वो सकारात्मक प्रभाव आप अपने जीवन में ला सकते हैं यदि आप इसे छोड़ देते हैं। इसे उस जगह पर चिपकाएं जहां आप इसे अक्सर पढ़ सकते हैं यह आपके लिए प्रेरणा के रूप में काम कर सकती है।

दोस्ती का प्रभाव
दोस्ती हमारी आदतों को काफी हद तक प्रभावित करती है। यदि आप ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो शराब पीने और धूम्रपान करने में लगे रहते हैं तो आपको इन आदतों को छोड़ना मुश्किल होगा। ऐसे लोगों के साथ आपके संपर्क को समाप्त करने का समय है।
     

उत्तेजनात्मक चीजों से बचें
कई चीजें हैं जो उत्तेजना को बढ़ाने के रूप में कार्य कर सकती हैं। उदाहरण के लिए यदि आप शराब के साथ सिगरेट पीते हैं तो आपको अपनी पीने की आदत में कटौती करनी होगी। यदि आपको टीवी देखते हुए चिप्स और कुकीज़ खाने की आदत है तो आपको टीवी देखने का समय कम करना होगा।

विकल्प तलाशना होगा
बोरियत और तनाव कुछ ऐसे सामान्य कारण हैं जिनसे लोग धूम्रपान, शराब पीना, मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर बड़ी मात्रा में समय खर्च करने जैसी अस्वस्थ आदतों को अपना लेते हैं। ऐसी गतिविधियों में शामिल होने के बजाए आपको सही दिशा में अपनी ऊर्जा को गति देने का प्रयास करना चाहिए। उदाहरण के लिए आप अपने खाली समय के दौरान किसी चीज का अनुसरण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप अपने कुत्ते के साथ खेल सकते हैं या चित्रकारी भी कर सकते हैं।

व्यावसायिक सहायता प्राप्त करें
यदि उपर्युक्त उल्लिखित उपाय विशेष रूप से आपकी तब मदद नहीं कर पाते जब आप अपने द्वारा विकसित व्यसनों से छुटकारा मिलने की सोच रहें है तो यह पेशेवर मदद लेने का समय है।

निष्कर्ष

आपको अपने स्वास्थ्य को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यदि आपने समय रहते स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया है तो अब यह स्वस्थ जीवन शैली की तरफ मुड़ने का समय है।
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Thursday 14 September 2017

एक करोड़ खाली पड़े सरकारी पदों... 13/09/2017


राज्यसभा में सवाल उठा तो कैबिनेट राज्य मंत्री जितेन्द्र प्रसाद ने जवाब दिया। केन्द्र सरकार के कुल 4,20,547 पद खाली पड़े हैं। और महत्वपूर्ण ये भी है केन्द्र के जिन विभागो में पद खाली पड़े हैं, उनमें 55,000 पद सेना से जुड़े हैं। जिसमें करीब 10 हजार पद आफिसर्स कैटेगरी के हैं। इसी तरह सीबीआई में 22 फीसदी पद खाली हैं। तो प्रत्यर्पण विभाग यानी ईडी में 64 फीसदी पद खाली हैं। इतना ही नहीं शिक्षा और स्वास्थ्य सरीखे आम लोगो की जरुरतों से जुडे विभागों में 20 ले 50 फीसदी तक पद खाली हैं। तो क्या सरकार पद खाली इसलिये रखे हुये हैं कि काबिल लोग नहीं मिल रहे। या फिर वेतन देने की दिक्कत है । या फिर नियुक्ति का सिस्टम फेल है । हो जो भी लेकिन जब सवाल रोजगार ना होने का देश में उठ रहा है तो केन्द्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों के तहत आने वाले लाखों पद खाली पडे हैं। आलम ये है कि देश भर में 10 लाख प्राइमरी-अपर प्राइमरी स्कूल में टीचर के पद खाली पड़े हैं। 5,49,025 पद पुलिस विभाग में खाली पडे हैं। और जिस राज्य में कानून व्यवस्था सबसे चौपट है यानी यूपी। वहां पर आधे से ज्यादा पुलिस के पद खाली पड़े हैं। यूपी में 3,63,000 पुलिस के स्वीकृत पदो में से 1,82,000 पद खाली पड़े हैं। जाहिर है सरकारों के पास खाली पदो पर नियुक्ति करने का कोई सिस्टम ही नहीं है। इसीलिये मुश्किल इतनी भर नहीं कि देश में एजुकेशन के प्रीमियर इंस्टीट्यूशन तक में पद खाली पड़े हैं। मसलन 1,22,000 पद इंजीनियरिंग कालेजो में खाली पडे है। 6,000 पद आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी में खाली पड़े हैं।

6,000 पद देश के 47 सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में खाली पड़े हैं। यानी कितना ध्यान सरकारों को शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर हो सकता है, ये इससे भी समझा जा सकता है कि दुनिया में भारत अपनी तरह का अकेला देश है जहा स्कूल-कालेजों से लेकर अस्पतालो तक में स्वीकृत पद आधे से ज्यादा खाली पड़े है । आलम ये है कि 63,000 पद देश के 363 राज्य विश्वविघालय में खाली पडे हैं। 2 लाख से ज्यादा पद देश के 36 हजार सरकारी अस्पतालों में खाली पडे हैं। बुधवार को ही यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्दार्थ नाथ सिंह ने माना कि यूपी के सरकारी अस्पतालों में 7328 खाली पड़े पदो में से 2 हजार पदों पर जल्द भर्ती करेंगे। लेकिन खाली पदो से आगे की गंभीरता तो इस सच के साथ जुडी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि कम से कम एक हजार मरीज पर एक डाक्टर होना ही चाहिये । लेकिन भारत में 1560 मरीज पर एक डाक्टर है । इस लिहाज से 5 लाख डाक्टर तो देश में तुरंत चाहिये । लेकिन इस दिशा में सरकारे जाये तब तो बात ही अलग है । पहली प्रथमिकता तो यही है कि जो पद स्वीकृत है । इनको ही भर लिया जाये । अन्यथा समझना ये भी होगा कि स्वास्थय व कल्याण मंत्रालय का ही कहना है कि फिलहाल देश में 3500 मनोचिकित्सक हैं जबकि 11,500 मनोचिकित्सक और चाहिये ।



और जब सेना के लिये जब सरकार देश में ही हथियार बनाने के लिये नीतियां बना रही है और विदेशी निवेश के लिये हथियार सेक्टर भी खोल रही है तो सच ये भी है कि आर्डिनेंस फैक्ट्री में 14 फीसदी टैक्निकल पद तो 44 फिसदी नॉन-टेक्नीकल पद खाली पडे हैं।
यानी सवाल ये नहीं है कि रोजगार पैदा होंगे कैसे । सवाल तो ये है कि जिन जगहो पर पहले से पद स्वीकृत हैं, सरकार उन्हीं पदों को भरने की स्थिति में क्यों नहीं है। ये हालात देश के लिये खतरे की घंटी इसलिये है क्योंकि एक तरफ खाली पदों को भरने की स्थिति में सरकार नहीं है तो दूसरी तरफ बेरोजगारी का आलम ये है कि यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट कहती है कि 2016 में भारत में 1 करोड 77 लाख बेरोजगार थे । जो 2017 में एक करोड 78 लाख हो चुके हैं और अगले बरस 1 करोड 80 पार कर जायेंगे। लेकिन भारत सरकार की सांख्यिकी मंत्रालय की ही रिपोर्ट को परखे तो देश में 15 से 29 बरस के युवाओ करी तादाद 33,33,65,000 है । और ओईसीडी यानी आरगनाइजेशन फार इक्नामिक को-ओपरेशन एंड डेवलेपंमेंट की रिपोरट कहती है कि इन युवा तादाद के तीस पिसदी ने तो किसी नौकरी को कर रहे है ना ही पढाई कर रहे है । यानी करीब देश के 10 करोड युवा मुफलिसी में है । जो हालात किसी भी देश के लिये विस्पोटक है । लेकिन जब शिक्षा के क्षेत्र में भी केन्द्र और राज्य सरकारे खाली पद को भर नहीं रही है तो समझना ये बी होगा कि देश में 18 से 23 बरस के युवाओं की तादाद 14 करोड से ज्यादा है । इसमें 3,42,11,000 छात्र कालेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। और ये सभी ये देख समझ रहे है कि दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटी की कतार में भारतीय विश्वविधालय पिछड चुके है । रोजगार ना पाने के हालात ये है कि 80 फीसदी इंजीनियर और 90 फिसदी मैनेजमेंट ग्रेजुएट नौकरी लायक नही है । आईटी सेक्टर में रोजगार की मंदी के साथ आटोमेशन के बाद बेरोजगारी की स्थिति से छात्र डरे हुये हैं। यानी कहीं ना कहीं छात्रों के सामने ये संकेट तो है कि युवा भारत के सपने राजनीति की उसी चौखट पर दम तोड रहे है जो राजनीति भारत के युवा होने पर गर्व कर रही है । और एक करोड़ खाली सरकारी पदों को भरने का कोई सिस्टम या राजनीतिक जिम्मेदारी किसी सत्ता ने अपने ऊपर ली नहीं है।
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